आइये इस लेख से जानते है भारत के नियंत्रक एव महालेखापरीक्षक के बारे में जो एग्जाम में पूछे जाते है ।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
(Controller and Auditor General of India; संक्षिप्त नाम: CAG कैग)
भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक का कार्यालय 10 बहादुर शाह जफर मार्ग पर नई दिल्ली में स्थित है। वर्तमान समय में इस संस्थान के प्रमुख गिरीश चंद्र मूर्मू हैं। वे भारत के 14वें नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक हैं। किसी भी कैग प्रमुख का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र, जो भी पहले होगा, की अवधि के लिए राष्टपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। संस्था केन्द्र अथवा राज्य सरकार के अनुरोध पर किसी भी सरकारी विभाग की जाँच कर सकती है। अनुच्छेद 148 के अनुसार भारत का एक नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक होगा। यह भारत सरकार की रिपोर्ट राष्ट्रपति को और राज्य सरकार की रिपोर्ट राज्य के राज्यपाल को देता है।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण
👉🏿भारत के पहले लेखापरीक्षक-वी नरहरि राव (कार्यकाल 1948 से 1954)
👉🏿वर्तमान में–गिरीश चंद्र मुर्मू
👉🏿कार्यकाल –6 वर्ष या 65 वर्ष
👉🏿वेतन — 2 लाख 50 हजार
👉🏿वेतन दिया जाता है–भारत के संचित निधि से
👉🏿नामांकनकर्ता— भारत के प्रधानमन्त्री
👉🏿नियुक्तिकर्ता —-राष्ट्रपति
👉🏿संस्था— संवैधानिक
भारत की सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था
आज हम आपको CAG के चारो अनुच्छेद के बारे में बताएँगे
👉🏿अनुच्छेद 148 – भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक
👉🏿अनुच्छेद 149 – भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य एवं शक्तियां
👉🏿अनुच्छेद 150 – संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप
👉🏿अनुच्छेद 151 – लेखापरीक्षा प्रतिवेदन
संवैधानिक प्रावधान
👉🏿अनुच्छेद 148 – कहता है कि
भारत का एक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक होगा जिसकेा राष्ट्रपति अपने हस्तााक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा और उसे उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्ही आधारों पर हटाया जाएगा जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक नियुक्त किया जाता है पदग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का वेतन और सेवा की अन्य शर्तें ऐसी होगी जो संसद, विधि द्वारा अवधारित करें और जब तक वे इस प्रकार अवधारित नहीं की जाती है तब तक ऐसी होगी जो दूसरी अनूसूची में विनिर्दिष्ट हैं: परन्तु न तो नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के वेतन में और न ही अनुपस्थिति छुट्टी पेंशन या निवृत्ति की आयु के संबंध में उसके अधिकारों में उसी नियुक्तिम के पश्चात उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, अपने पद पर न रह जाने के पश्चात या तो सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी और पद का पात्र नहीं होगा।
इस संविधान के और संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग में सेवा करने वाले व्यक्तियों की सेवा शर्तें और नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की प्रशासनिक शक्तियां ऐसी होगी जो नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा विहित की जाए।
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कार्यालय के प्रशसनिक व्यय, जिनके अंतर्गत उस कार्यालय में सेवा करने वाले व्यक्तियों को या उनके संबंध सभी में देय वेतन, भत्ते ओर पेंशन है, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।
👉🏿अनुच्छेद 149 – भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य एवं शक्तियां
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक संघ के और राज्यों के तथा अन्य किसी प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जिन्हें संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन विहित किया जाए और जब तक इस निमित्व इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता तब तक संघ के औरा राज्यों के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तिंयों का प्रयोग करेगा जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले क्रमश: भारत डोमिनियन के और प्रांतों के लेखाओं के संबंध में भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को प्रदत थी या उसके द्वारा प्रयोक्तव्य थीं।
👉🏿अनुच्छेद 150 – संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप
संघ के और राज्यों के लेखाओं को ऐसे प्रारूप में रखा जाएगा जो राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श के प्रश्चात विहित करें।
👉🏿अनुच्छेद 151 – लेखापरीक्षा प्रतिवेदन भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की संघ के लेखाओं संबंधी रिपोर्टों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा जो उनको संसद के प्रत्येक संदन के समक्ष रखवाएगा।
भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की किसी राज्य के लेखाओं संबंध रिपोर्टों को राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा जो उनको उस राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगा।
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