आपराधिक मामलों में सबूत और सच्चाई जानने के लिए नार्को टेस्ट किया जाता है। लेकिन कोर्ट में अमान्य होने के बावजूद ये परीक्षण क्यों किया जाता है? इस आर्टिकल में जानेंगे कि नार्को टेस्ट क्या है और डॉक्टर इसे कैसे करते हैं?
क्या है नाकों टेस्ट
■ नार्को टेस्ट से पहले व्यक्ति का फिटनेस टेस्ट किया जाता है। जिसमें लंग्स टेस्ट, हार्ट टेस्ट जैसे प्री-एनेस्थिसिएटिक टेस्ट होते हैं। वहीं, नार्को टेस्ट के दौरान व्यक्ति की हिप्नोटिक स्टेज को मॉनिटर करने के लिए कुछ डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है।
■ नाकों टेस्ट का उपयोग नैदानिक और मनोचिकित्सा तकनीक का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
■ नार्को टेस्ट के दौरान स्कोपोलामाइन ,सोडियम पेंटोयल और सोडियम एमाइल जैसी दवाओं को आरोपी के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है।
■ परीक्षण के दौरान इंजेक्शन में दिये जाने वाले पदार्थ की मात्रा व्यक्ति की आयु,लिंग और स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति के अनुसार तय की जाती है।
■ यह दवा व्यक्ति को एक कृत्रिम निद्रावस्था (Hypnotic) या अचेतन अवस्था में ले जाती है जिसमें व्यक्ति की कल्पना निष्प्रभावी हो जाती है।
इस कृत्रिम निद्रावस्था में अभियुक्त का संकोच और डर कम हो जाता है और सत्य सूचनाएँ तथा जानकारी प्रकट करने की संभावना होती है।
■ जाँच एजेंसियों द्वारा संबंधित व्यक्ति से डॉक्टरों की मौजूदगी में पूछताछ की जाती है और उसकी विडियो रिकॉर्डिंग की जाती है।
किस दवाई का प्रयोग किया जाता है ~
■ सोडियम पेंटोल या सोडियम थियोपेंटल कम अवधि में तेजी से काम करने वाला एनेस्थेटिक है।
इसका अधिक मात्रा में उपयोग सर्जरी के दौरान रोगियों को बेहोश करने के लिये किया जाता है।यह दवाओं के वायुरेट (Barbiturate) वर्ग से संबंधित है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालती है।
■ चूँकि यह दवा झूठ बोलने के संकल्प को कमजोर करती है, इसलिये इसे ‘दूध सौरम’ भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान खुफिया अधिकारियों ने इसका इस्तेमाल किया था।.
पॉलीग्राफ परीक्षण से भिन्नता
■ पॉलीग्राफ परीक्षण इस धारणा पर आधारित होता है कि जब कोई व्यक्ति झूठ बोल रहा होता है तो उस समय उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाएँ सामान्य की तुलना में भिन्न होता है।
■ इस परीक्षण में शरीर में दवाओं को इंजेक्ट नहीं किया जाता है, बल्कि कार्डियो कंपस (Cardio-Cuffs) या संवेदनशील इलेक्ट्रोड जैसे उपकरण संदिग्ध के शरीर से जोड़े जाते हैं। साथ ही प्रश्न पूछे जाने के दौरान विभिन्न शारीरिक गतिविधियों, जैसे रक्तचाप, नाड़ी दर एक्सन दर पसीने की ग्रंथि गतिविधि में परिवर्तन रक्त प्रवाह आदि को मापते हैं।
• इस प्रक्रिया में व्यक्ति के सत्य, असत्य, धोखे और अनिश्चितता का मूल्यांकन करने के लिये प्रत्येक प्रतिक्रिया को एक संख्यात्मक मान प्रदान किया जाता है।
परीक्षणों का औचित्य
■ हाल के दशकों में जाँच एजेंसियों ने इन परीक्षणों के इस्तेमाल की मांग की है जिन्हें कभी-कभी वातना (Torture) या थर्ड डिग्री का बेहतर विकल्प माना जाता है।
# हालांकि, इनमें से किसी भी विधि की सफलता दर 100% नहीं है और ये विषय चिकित्सा क्षेत्र में भी विवादास्पद बने हुए हैं।