केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के रियासी क्षेत्र में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए 59 मिलियन टन के लिथियम अनुमानित भंडार का पता लगाया है। दरअसल लिथियम इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल बैटरी में एक मुख्य घटक के रूप में उपयोग होता है। भारत फिलहाल कोबाल्ट,लिथियम और निकल जैसे कई खनिजों के लिए दूसरे देशों पर पूरी तरह निर्भर है लेकिन इस खोज से भारत की निर्भरता कुछ हद तक अन्य देशों पर कम होगी।
अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी
लिथियम ईवी बैटरी के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाता है। वर्तमान समय टेक्नोलॉजी का दौर है । ऐसे में सरकार महत्वपूर्ण खनिज सप्लाई चैन को मजबूत करने का प्रयास लगातार कर रही है। वर्तमान में देखा जाए तो भारत लिथियम (Lithium), कोबाल्ट (Cobalt) और निकल (Nickel) जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भर है। लेकिन इस खोज के कारण भारत की स्थिती में काफी सुधार होगा..
लिथियम की उपयोगिता:
◾मोबाइल फोन, सोलर पैनल समेत कई जगह लिथियम सहित महत्वपूर्ण खनिजों की आवश्कता होती है इसलिए इसका पता लगाना और उन्हें संसाधित करना बेहद जरूरी है।
◾लिथियम एक अलोह (Non-ferrous) धातु है । जिसे ‘व्हाइट गोल्ड’ के रूप में भी जाना जाता है, जो निकल और कोबाल्ट के साथ-साथ ईवी बैटरी में प्रमुख घटकों में से एक है। लेकिन सम्पूर्ण विश्व में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग वैश्विक लिथियम आपूर्ति को प्रभावित कर रही है।
◾लिथियम का इस्तेमाल लैपटॉप, फोन, ई-व्हीकल्स जैसे उपकरणों की बैट्री बनाने के लिए किया जाता है।
◾अब तक भारत लिथियम का 95 से 96 फीसदी हिस्सा आयात किया करता था। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत को लिथियम के आयात के लिए 13.838 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। भारत लिथियम के आयात में विश्व में चौथे स्थान पर है।
◾लिथियम के लिए भारत चीन और हॉगकॉग पर निर्भर था चीन से भारत 80 फीसदी लिथियम इंपोर्ट करता था।
◾ आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में सबसे ज्यादा लिथियम का भंडार चिली (93 लाख टन) इसके बाद दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया (63 लाख टन ) भारत (59 लाख टन) के साथ तीसरे स्थान पर होगा।
◾पश्चिम से लेकर दक्षिण तक दुनिया के तमाम देश इंधनो के बचत के लिए अब धीरे- धीरे अपने ट्रांसपोर्टेशन को ई व्हीकल्स की तरफ बदल रहे है ऐसे में लिथियम के मिलने से भारत में परिवहन क्षेत्र को नया आयाम मिलेगा।
भारत के ‘इलेक्ट्रिक मिशन’ को कितनी मदद?
◾भारत सरकार ने बजट में कहाँ था कि उनका लक्ष्य है कि 2030 तक भारत में चलने वाली 30% निजी कारें, 70% कमर्शियल वाहन और 80% टू व्हीलर इलेक्ट्रिक हो जाएं।
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