शालिग्राम शिलाएँ

चर्चा में क्यों

हाल ही में, दो पवित्र शालिग्राम शिलाएँ उत्तर प्रदेश के अयोध्या में लाई गई हैं।

प्रमुख बिंदु

■ इन शिलाओं का उपयोग अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम एवं माता जानकी की मूर्तियों के निर्माण के लिये किया जाना है। इसे नेपाल के जनकपुर स्थित गलेश्वर धाम से लाया गया है।

■ इसमें पहली शिला का वज़न 31 टन एवं दूसरी का वज़न 15 टन है। इन शिलाओं को दैवीय शक्तियों से युक्त माना जाता है और इन्हें सौभाग्य व समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

शालिग्राम शिलाएँ क्या हैं

■ मानव विज्ञानी हॉली वाल्टर्स (Holly Walters) ने अपनी पुस्तक ‘शालिग्राम पिलग्रिमेज इन द नेपाल हिमालयाज’ में कहा है कि शालिग्राम शिलाएँ अमोनाइट (Ammonite) के जीवाश्म हैं जो एक प्रकार का मोलस्क है।

■ अमोनाइट मोलस्क 400 मिलियन से 65 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच पाए जाते थे। वर्ष 1904 के भारत के एक भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण प्रकाशन के अनुसार, शालिग्राम शिलाएँ लगभग 165-140 मिलियन वर्ष पूर्व जुरासिक काल के अंत के निकट प्रारंभिक ऑक्सफोर्डियन से टिथोनियन युग के बीच की हैं।

■ नेपाल हिमालय से निकलने वाली काली गंडकी (गंडक) की घाटी में बड़ी संख्या में अमोनाइट के जीवाश्म पाए जाते हैं।

■■ ये समुद्री जानवर टेथिस सागर में रहते थे। हिमालय के उत्थान के समय ये जीव तलछट के रूप में संरक्षित हो गए थे।

धार्मिक महत्त्व

■ सीधे एवं कुंडलित गोले वाले इन विशिष्ट जीवाश्मों का हिंदुओं के लिये विशेष धार्मिक महत्त्व है।

■ हॉली वाल्टर्स ने इस बात का उल्लेख किया है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु को देवी तुलसी की पवित्रता को धोखा देने के लिये शालिग्राम पत्थर बनने का श्राप मिला था।

■ इन अमोनाइट (नेपाली में शालिग्राम ) शिलाओं को भगवान विष्णु का प्रतिनिधि माना जाता है। भगवान राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और शालिग्राम शिलाओं का उपयोग दो देवताओं के बीच संबंध का प्रतीक है।

यह भी पढ़े–राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव 2023 


 

By Amit Pandey

पंडित जी पिछले 13 सालों से प्रतियोगीं परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रो का निःशुल्क मार्गदर्शन कर रहें है अपना अनुभव युवाओं को साझा कर उन्हें शासकीय सेवा में जाने के लिए प्रेरित करते है उनके मार्गदर्शन में सैकडो छात्र सीजीपीएससी , व्यापम, रेलवें आदि परीक्षाओं में चयनित हो चुके है l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *