Indian Forest Service में छत्तीसगढ़ के हर्षित मेहर ने कैसे लाया देशभर में पांचवां स्थान
भारतीय वन सेवा परीक्षा 2021 के परिणाम में छत्तीसगढ़ के हर्षित मेहर को देशभर में पांचवां स्थान हासिल हुआ था ।छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी हर्षित मेहर ने देशभर में पांचवां स्थान हासिल कर राज्य को गौरवान्वित किया । इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में 2021 में देशभर से कुल 108 उम्मीदवारों का चयन किया हुआ था । रायपुर शहर निवासी हर्षित के पिता जी डी के मेहर भी राज्य वन सेवा (SFS) के अधिकारी हैं. हर्षित ने साल 2017 में मैकेनिकल ब्रांच से बी.टेक किया. उसके बाद उनके मन में यूपीएससी क्रैक करने का ख्याल आया। घर वालो से बात कर वो अपने सपनो को सच करने के लिए दिल्ली चले गए. दिल्ली में सिर्फ एक साल कोचिंग करने के बाद वो वापस घर आ गए.और सेल्फ स्टडी करने लगे”
“पहली बार वर्ष 2018 में उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम दिया था. काफी मेहनत के बाद भी शुरूवात के 2 एटेम्पट देने के बाद भी मेरा प्रीलिम्स नहीं निकल पाया. इसके बाद मैंने प्रण कर लिया था कि मैं अब आगे एग्जाम नहीं दूंगा क्योंकि असफलता से मन उदास और विस्वास टूट गया था, लेकिन उस दौरान मेरे मम्मी- पापा ने मुझे हार न मानने की हिम्मत दी और मुझे मार्गदर्शन दिया. धीरे धीरे मैं सामान्य हुआ और मैंने फिर से तैयारी स्टार्ट की. तीसरे प्रयास में मेरा प्रीलिम्स के साथ मेंस भी क्लियर हो गया और मैं इंटरव्यू तक में जगह बनाने में कामयाब हो गया , लेकिन नतीजे जारी होने के बाद मेरा नम्बर और रैंक चयन योग्य नहीं आ सका, लेकिन मेरे अंदर आत्मविस्वास (confidence) आ चूका था और मैं यह समझ गया था कि मैं अब मैं एग्जाम निकाल सकता हूं. फिर मैंने 2020 में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस का एग्जाम दिया और अंततः दूसरे प्रयास में मुझे सफलता हासिल हुई. देशभर में मेरी पांचवी रैंक आई है यह जानकार मैं और घर वाले सभी बहुत खुश हुए”
सोशल मीडिया से बना रखी थी दूरी
हर्षित मेहर ने बताया कि मेरे अंदर एक जूनून था “मैं अपने एग्जाम की तैयारी करने में इतना व्यस्त था कि मैंने सोशल मीडिया से दूरी बना रखी थी. मैं सिर्फ चुनिंदा जैसे टेलीग्राम और व्हाट्सएप का इस्तेमाल स्टडी मटेरियल जुटाने के लिए करता था. बहुत ज्यादा ग्रुप में नही जुड़ा था क्योंकि ज्यादा ग्रुप में जुड़ने से स्टडी प्रभावित होता है मुझे कुछ डाउट या दिक्कत होता भी तो मैं इंटरनेट में गूगल से सर्च कर उसे पढ़ लेता था मैं ज्यादा दोस्तों के सम्पर्क में भी नही था. पढ़ाई से मेरा ध्यान ना भटके इसलिए पाँच वर्षो तक मैंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल नहीं किया उनसे दुरी बना लिया.”
माँ पिता ने हौसला बढ़ाया
जब 2 एटेम्पट के बाद भी सफलता नहीं मिल रही थी तो मम्मी ने मेरा हौसला बढ़ाया: हर्षित ने बताया “आज मुझे जो सफलता हासिल हुई है. वह मेरे मेहनत के साथ मम्मी -पापा के भरोसे और विस्वास की बदौलत ही है. एग्जाम में सफल नहीं होने के कारण मैं कई बार डिमोटिवेट हो जाता था, लगता था एग्जाम क्लियर करना मेरे बस की बात नही है । लेकिन मेरी मम्मी ने उस दौरान मुझे समझाया और मेरा हौसला बढ़ाया. पापा कुछ वन अधिकारी है वो मुझे मार्गदर्शन करते रहते थे. दोनों के विस्वास और समर्थन से ही मैं दुबारा एग्जाम की तैयारी में जुटा रहा.नतीजे जारी होने के बाद जब देशभर में मुझे पांचवां स्थान मिला तो मम्मी -पापा के साथ पूरा परिवार ख़ुशी से झूम उठा है.”
हर्षित कहते है “ अगर ठान लिया जाए तो कोई भी इंसान एग्जाम क्लियर कर सकता । निरंतर अभ्यास ही सफलता का मूल मंत्र है ।”