भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी
चर्चा में क्यों
हाल ही में आरबीआई ने डिजिटल रुपये से संबंधित एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है ।
प्रमुख बिंदु-
● इस पायलट प्रोजेक्ट में डिजिटल रुपये का उपयोग द्वितीयक बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों के लेनदेन के लिए किया जाएगा।
● रिजर्व बैंक ने देश के नौ सरकारी और निजी बैंकों को इस प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति प्रदान की है।
डिजिटल करेंसी
● इसमें मुद्रा को कागज पर छापने की जगह, डिजिटल रूप में जारी किया जाता है, और ई-बैंकिंग के माध्यम से ग्राहकों को उपलब्ध कराया जाता है।
● यह एक फिएट मुद्रा के समान है, और फिएट मुद्रा के साथ विनिमय योग्य है।
● फिएट मुद्रा सरकार द्वारा जारी मुद्रा होती है जिसका मूल्य सोने, चाँदी या किसी अन्य कमोडिटी पर आधारित नहीं होता है।
● यह मुद्रा डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी कानूनी टेंडर है।
● इसे समान रूप से नामित नकदी और पारंपरिक केंद्रीय बैंक जमाओं के बराबर परिवर्तित या आदान-प्रदान किया जा सकता है।
● यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग है, क्योंकि यह एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और समर्थित वैध मुद्रा है।
डिजिटल करेंसी के लाभ
● इससे मुद्रा की प्रिंटिंग तथा परिवहन में आने वाले खर्च में कमी आयेगी।
● डिजिटल करेंसी के प्रयोग से नकली मुद्रा की समस्या का समाधान हो सकता है।
● कागजी मुद्रा की तुलना में डिजिटल मुद्रा का पता लगाना आसान होगा, जिससे काले धन की मात्रा में कमी आएगी और कर चोरी को रोकना भी आसान होगा।
● डिजिटल मुद्रा से सरकार को ये पता करने में आसानी होगी, कि किसी योजना के लाभार्थियों को मौद्रिक लाभ प्राप्त हुआ है या नहीं।
● डिजिटल करेंसी से मुद्रा परिचालन में होने वाली मुद्रा क्षति को भी कम किया जा सकेगा।
● सरकार द्वारा डिजिटल मुद्रा के जारी करने के बाद क्रिप्टोकरेंसी के प्रति लोगों के आकर्षण में कमी आएगी।
डिजिटल करेंसी का नकारात्मक पक्ष
● भारत में वित्तीय साक्षरता की कमी तथा डिजिटल उपकरणों की अपर्याप्त उपलब्धता डिजिटल मुद्रा की सफलता में एक प्रमुख बाधक तत्व है।
● किसी प्राकृतिक आपदा के दौरान विदयुत उपकरणों की क्षति होने से डिजिटल करेंसी पर आधारित अर्थव्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है।
● साइबर आतंकबाद, डिजिटल मुद्रा के समक्ष एक प्रमुख खतरा है।
● मुद्रा को डिजिटल रूप से छापने पर विद्युत के उपयोग तथा ई-वेस्ट की मात्रा में वृद्धि होगी।
आगे की राह
● चूंकि डिजिटल करेंसी के रूप में ग्राहकों का पैसा हर समय उनके बैंक खाते में ही रहेगा, इसीलिए इससे संबंधित ब्याज दरों के संबंध में रिजर्व बैंक को स्पष्ट नीति बनाने की आवश्यकता है।
● डिजिटल मुद्रा को कागजी मुद्रा के पूरक के रूप में जारी किया जाना चाहिये, ना कि उसके स्थानापन्न के रूप में।