छत्तीसगढ़ का पहला एथेनॉल प्लांट इस साल अप्रैल से कवर्धा में भोरमदेव शक्कर कारखाने के पास शुरू हो जाएगा और शुरुवात मे गन्ने से रोजाना 80 किलोलीटर एथेनॉल बनने लगेगा। यह पीपीपी मॉडल से बनने वाला देश का पहला एथेनॉल प्लांट होगा। इसके लिए ग्लोबल टेंडर के बाद भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने तथा एनकेजे बॉयोफ्यूल के बीच एग्रीमेंट हुआ है। सीजन में गन्ने के रस से तथा ऑफ सीजन में मोलासिस से एथेनॉल बनेगा।दिसंबर 2022 तक छत्तीसगढ़ के 11 जिलों में 29 एथेनॉल प्लांट के लिए समझ का ज्ञापन (MoU) हो चुका है। अब तक बेमेतरा जिले में सर्वाधिक 10 Mou हुए है ।
इथेनॉल (Ethanol)क्या है ??
यह भविष्य का एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है जो हमारे वाहनों, प्रदूषण और इसके उपयोग के लाभों से जुड़ा है। यही कारण है कि इन दिनों सरकार और ऑटो-मोबाइल क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया में यह खास चर्चा का विषय है। इथेनॉल वास्तव में एक प्रकार का अल्कोहल का ही रूप है, जिसे पेट्रोल के साथ मिलाकर वाहनों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
एथेनॉल प्लांट क्या है?
एथेनॉल प्लांट (Ethanol Plant) एक ऐसा प्लांट है जिसमें एथेनॉल का उत्पादन किया जाता है। पेट्रोल की ज्वलनशीलता बढ़ाने के लिए इथेनॉल मिलाया जाता है। एथेनॉल मिलाने पर पेट्रोल का ऑक्टेन मान 2.5 प्रतिशत और ऑक्सीजन क्षमता 3 प्रतिशत बढ़ जाती है। इससे पेट्रोल इंजन 100% जलता है और निकलने वाला धुंआ भी कम प्रदूषणकारी होता है।
गन्ने के रस से इथेनॉल का उत्पादन होता है। हालांकि, इथेनॉल अन्य चीनी फसलों से भी बनाया जाता है। इससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ होता है। ब्राजील के लगभग 40 प्रतिशत वाहन एथेनॉल पर चलते हैं। बाकी वाहनों में 24 प्रतिशत एथेनॉल मिलाकर ईंधन का उपयोग किया जाता है।
इथेनॉल मकई, गन्ना और अन्य पौधों की सामग्री से बना एक अक्षय ईंधन है। इथेनॉल का उपयोग व्यापक है, और यू.एस. में 98% से अधिक गैसोलीन में कुछ इथेनॉल होता है। इथेनॉल का सबसे आम मिश्रण E10 (10% इथेनॉल, 90% गैसोलीन) है।
बढ़ते वायु प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए और पेट्रोल-डीजल में मिश्रण जैव ईंधन उत्पादन के क्षेत्र में सरकार तेजी से विकास कर रही है. इसीलिए देशभर में अलग अलग राज्यों में एथेनॉल प्लांट की स्थापना की जा रही है. इसी कड़ी में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट यूपी के गोंडा में बनकर तैयार है. इस प्लांट हर दिन 350 किलोलीटर एथेनॉल उत्पादन करने की क्षमता रखता है जो वर्तमान में बाकी प्लांट की तुलना में सर्वाधिक है.।।
देश में 200 से अधिक प्लांट बन रहे
दुनियाभर में एथेनॉल बेस्ड पेट्रोल-डीजल की मांग बढ़ रही है. एथेनॉल की उत्पादन प्रक्रिया में फसल या खाद्य पदार्थों के अपशिष्ट या अन्य चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, इससे वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलती है. एथेनॉल के कई फायदों के चलते इसके इस्तेमाल पर कई देश तेजी से काम कर रहे हैं. भारत में भी एथेनॉल प्लांट की तेज गति से शुरुआत की जा रही है. केंद्र सरकार ने देशभर में करीब 200 प्लांट स्थापित करने की मंजूरी दे रखी है.
गन्ना, मक्का, चावल से बनता है जैविक ईंधन
एथेनॉल प्लांट में गन्ना, मक्का, सूखे चावल और किसी भी खाद्यान्न के बचे हुए कचरे का उपयोग किया जाता है. इससे प्रोड्यूस होने वाले जैविक ईंधन एथेनॉल को पेट्रोल और डीजल में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है. केंद्र सरकार ने 2030 तक भारत के पेट्रोल-डीजल की खपत का 20 फीसदी तक इथेनॉल बनाकर सम्मिश्रण करने का लक्ष्य रखा है.