किसी भी देश के नागरिको द्वारा समय- समय पर किसी न किसी चीज को बैन करने की मांग की जाती है । कभी किसी कलाकार, फ़िल्म,गाना तो कभी बुक को बैन करने की माँग की जाती है । इसके लिए सोशल मीडिया में # हैसटेग कर अभियान चलाया जाता है । लेकिन सरकार किसी भी चीज को बैन करने का फैसला कब लेती है,आइए जानते है इस लेख में ।
1947 के बाद आजाद भारत में अब तक 45 किताबो पर राष्ट्रीय स्तर पर बैन लगा दिया गया गया है ।
अक्सर मोदी सरकार की तुलना जवाहर लाल नेहरू सरकार से की जाती है । प्रधानमन्त्री नेहरू के सरकार में बैन किताबो की संख्या बहुत ज्यादा है । मोदी सरकार की बात करे तो मात्र 4 किताबो को अब तक बैन किया गया है ।जबकि नेहरू की सरकार ने उस समय कुल 16 किताबो को बैन कर दिया था ।आखिर क्या कारण था क्यों इतनी सारी किताबो को बैन किया गया ? आइये जानते है ।
आजाद भारत के पहले प्रधानमन्त्री पण्डित नेहरू ने अपने 17 साल के कार्यकाल में 16 किताबो को बैन किया । आखिर नेहरू जी को इतने किताबो को बैन करने की जरुरत क्यों आन पड़ी । ये वो समय था जब भारत आजाद हुआ था और पाकिस्तान भारत के खिलाफ दुस्प्रचार कर रहा था ।बहुत सारी किताबे ऐसी थी जो पाकिस्तान लेखक द्वारा लिखी गई थी जिसमे कश्मीर के मुद्दों को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए कुछ बातो का सहारा लिया गया था जो तथ्यात्मक रूप से सही नही था इसलिए पण्डित नेहरू ने किताबो को बैन किया ।कई सारे किताबे ऐसी थी जो धार्मिक भावनाओ को आहत पहुँचाने वाली थी । nine Hours to Rama किताब में महात्मा गाँधी की हत्या के मामले में नाथूराम गोडसे को सही बताया गया इस वजह से उस किताब को बैन किया गया ।1950 से 1963 के बीच कुल 16 किताब पे बैन लगाया गया । तब पण्डित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमन्त्री थे मोदी ने अपने कार्यकाल में सिर्फ 4 किताब पे बैन लगाया । आपको जानकार आस्चर्य होगा कि इसमे से किसी भी किताब पर पॉलिटिकल कारण से बैन नही लगाया गया है ।8 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने सिर्फ 4 किताबो को प्रतिबन्ध लगाया है ।पहला, संत सूर्य तुकाराम और दूसरा लोकसखा ज्ञानेश्वर ,एक ही लेखक आनंद यादव की है दोनों को इसलिए बैन किया गया क्योंकि इससे धार्मिक भावनाये आहत हो रही थी ।बाकी की दो किताब सहारा और रामदेव के जीवन पर आधरित god may be tycoon को इसलिए बैन किया गया क्योंकि कोर्ट का आदेश था । मानहानि के मुकदमे होने के बाद में जैसे ही कोर्ट का आदेश मिला वैसी ही इन दो किताबो पर बैन लगा दिया गया हालांकि सहारा किताब पर लगाया गया बैन अस्थायी( temporary) था । बात जब बुक के बैन पर चली है तो 1964 से 1997 के बीच 17 किताबो पर बैन लगाया गया । इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 7 किताबो पर बैन लगाया गया ।वही अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में सिर्फ 1 किताब पर बैन लगाया गया था। Five Past Midnight in Bhopal
इस किताब को इसलिए बैन किया गया क्योंकि यह भोपाल गैस काण्ड पर आधारित था । उस समय तात्कालिक कमिश्नर जो थे उन्होंने मानहानि का दावा कर कोर्ट से बैन करवाया था । प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 3 किताबो पर बैन लगाया गया था । आखिर बैन कैसे लगता है ??crpc का sec 95 के तहत किताबो पर बैन लगता है ।किसी न्यूज़ पेपर, किताब, डॉक्यूमेंट, पेंटिंग, फोटोग्राफ या परचा इस तरह की कोई चीज है उस पर बैन लगाने का अधिकार सेक्शन 95 के तहत राज्य सरकारो के पास है । ये बैन तब लगाया जाता है जब कोई कंटेंट इन धाराओ के तहत अपराध हो ।
कौन- कौन सी धारा है उस पर बात करते है-
सेक्शन 124 राष्ट्र द्रोह
सेक्शन153 A समुदाय के बीच में दुश्मनी फैलाना
सेक्शन 153 B धार्मिक स्थल या धार्मिक रैली को नुकसान पहुचाना या इस तरह का कोई विवादित कंटेट होने पर बैन कर दिया जाता है ।
सेक्शन 292 मतलब किताब का कंटेंट अश्लील है ।
सेक्शन 295 A धार्मिक भावनाए उस किताब के कंटेट से आहत हो रही है तो बिना देरी सरकार किताबो को बैन कर सकती है ।।
आपको जानकार आस्चर्य होगा की the catch in the ray इस किताब को सबसे ज्यादा बार बैन किया गया है ।।