संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी)
खबरों में क्यों-
विपक्ष ने अडानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच की मांग की है।
जेपीसी के बारे में-
नब्बे के दशक में देश में बहुचर्चित बोफोर्स घाेटाले हुआ था जिसने भारतीय राजनीति को हिला कर रख दिया था. सरकार पर ऊँगली उठे तो जांच के लिए सांसदों की एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC)बनाई गई थी.यही वो समय था जब पहली बार जेपीसी का गठन किया गया था।
अब तक छह बार घोटालों और मामलों की जांच के लिए जेपीसी गठित की गई ।
यह संसद द्वारा एक विशेष उद्देश्य के लिए स्थापित किया जाता है, जैसे किसी विषय की विस्तृत जांच के लिए। इसमें दोनों सदनों और सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्य होते हैं।
इसकी अवधि समाप्त होने या इसका कार्य पूरा होने के बाद इसे भंग कर दिया जाता है।
जेपीसी के सदस्य संसद द्वारा तय किए जाते हैं। सदस्यों की संख्या भिन्न हो सकती है। (कोई निश्चित संख्या नहीं)
जेपीसी की सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।
जेपीसी के गठन का उद्देश्य
संसदीय निगरानी को प्रभावशाली और कुशल बनाने के लिए संसद को एक ऐसी समिति की ज़रूरत होती है जिस पर सदन का पूर्ण विश्वास हो।
संसद के समक्ष प्रस्तुत किये गए किसी सरकारी गतिविधियों में वित्तीय अनियमितताओं की जाँच करने या विशेष विधेयक की जाँच परख के लिये JPC का गठन किया जाता है।
जेपीसी का गठन कई राजनीतिक दलों के सदस्यों को मिलाकर किया जाता है. इस समिति में अलग-अलग दलों से चुने हुए प्रतिनिधियों का अनुपात सदन में उनकी संख्या के अनुपात के आधार पर होता है.
कैसे होता है जेपीसी का गठन
जेपीसी का गठन विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों को मिलाकर किया जाता है. इसमें सदस्यों की संख्या राज्यसभा के सदस्यों की तुलना से दोगुने लोकसभा से होंगे. इस समिति में अलग-अलग दलों से चुने हुए प्रतिनिधियों का अनुपात (Ratio) सदन में उनकी संख्या के अनुपात( Ratio) के आधार पर होता है. जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी JPC किसी मुद्दे पर बारीकी से जांच और छानबीन करती है. जांच के बाद जो भी निष्कर्ष निकालती है सरकार उसे प्राथमिकता के आधार पर महत्वपूर्ण मानती है. यही वजह से किसी भी घोटालों या किसी विवादित मुद्दे पर विपक्ष द्वारा जेपीसी की मांग की जाती है.
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